Friday, August 30, 2013

चल तो पड़ते हें,जाना कहाँ है ,नहीं समझ पाते हें लोग

चल तो पड़ते हें,जाना कहाँ है ,नहीं समझ पाते हें लोग
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

चल तो पड़ते हें,जाना कहाँ है ,नहीं समझ पाते हें लोग 
कोल्हू  के  बैल की तरह , वहीं के वहीं रह जाते हें लोग 

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