Tuesday, September 3, 2013

इसके लिए करना क्या है ? बस जो पैसा व्यर्थ पेट्रोल में जला रहे हें बस उसी पैसे से infrastructure विकसित कर लीजिये।

मोइली जी ! ये हिन्दुस्तानी बाँकुरे जो heavy traffic jam से और , पेट्रोल की इतनी मंहगी कीमत से नहीं रुके वे तुम्हारे पेट्रोल कर्फ्यू से कैसे रुक जायेंगे ?
अरे ! आप दिन में सिर्फ २ घंटे ही पेट्रोल पम्प खुले रखिये तब भी देख लीजिये कि उतना ही पेट्रोल बिक गाता जितना २४ घंटे में बिकता है। 

अब यूं तो मैं राजनैतिक व्यक्ति नहीं हूँ और न ही मैं राजनीति समझता हूँ और इसी लिए इस बिषय पर कुछ लिखता बोलता नहीं हूँ , हालांकि विचार तो बहुत आते हें। 
मैं यही सोचकर चुप रह जाता हूँ की जो मुझे दिखता है और समझ में आता है वह तो सबको समझ आता ही होगा न ?
फिर भी नहीं करते हें तो जरूर कोई मजबूरी होगी या मेरे सोच में ही कोई गलती होगी , पर जब अज ऐसी - ऐसी बातें चल रही हें तो मैं भी क्यों चुप रहूँ , अपने पेट की मरोड़ को क्यों नहीं शांत करलूं -

- मैं देखता हूँ कि बम्बई हो या दिल्ली या कोई और metropolitan city , सब जगह इतना  traffic jam रहता है की लोग १ घंटे का सफ़र २से २.३० घंटे में तय करते हें।  जाहिर है कि उस पूरी अवधि में कार का ac और इंजिन तो चालू रहता ही है , सो भैये दो से ढाई गुना पेट्रोल जलता है , यदि यही बचाया जा सके तो सारा संकट ही हल हो जाए। 

इसके लिए करना क्या है ? बस जो पैसा व्यर्थ पेट्रोल में जला रहे हें बस उसी पैसे से infrastructure विकसित कर लीजिये। 

चौड़ी सड़कें , over bridge , sub way , आदि का निर्माण कीजिये। 
ऐसे public transport system का विकास कीजिये जो सुविधाजनक और सम्मानजनक भी हो , किसी कार बाले को उसमें चड़ने में शर्म न आये , आराम और गौरव महसूस हो बस , अपने आप सड़क की भीड़ कम हो जायेगी। 

अरे सिर्फ पेट्रोल ही नहीं बर्बाद होता है , देश के कितने productive human working hours  बर्बाद होते हें , क्या यह criminal wastage नहीं है ?
आदमी वमुश्किल दिन में १०-१२ घंटे सक्रिय रहता है उसमें से चार घंटे यह ट्रैफिक नष्ट करदे टी, इसका मतलब समझते हें १/३ ( एक तिहाई ) जिन्दगी। 

और भी बहुत मसले हें पर अभी इतना ही। 

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