Monday, February 3, 2014

इस जिन्दगी की पोथी का , एक पन्ना हर दिन पलट जाता है

क्या यही है जीवन ? (कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

इस जिन्दगी की पोथी का , एक पन्ना हर दिन पलट जाता है

आधी से ज्यादा पलट डाली , पर नया कुछ नजर नहीं आता है


हरएक पन्ने पर एक सी ही इबारत लिखी है,ऊब गया हूँ पड़ते


कितना रूखा रहा होगा वो लेखक , जिसने ये कहानी लिखी है


No comments:

Post a Comment