Friday, July 31, 2015

हम सभी यथार्थ से परे मात्र भ्रम में ही जीते हें

हम सभी यथार्थ से परे मात्र भ्रम में ही जीते हें

 -  परमात्म प्रकाश भारिल्ल

हम स्वयं अपने बारे में यह बात नहीं जानते हें कि दुनियाँ के बारे में, यहाँ तक कि अपने निकटतम लोगों के बारे में भी हमारी धारणाएं हमारी अपनी नहीं हें, वे सब रागी-द्वेषी लोगों से सुनी सुनाई बातों पर ही आधारित हें.
जो बातें हमने सिर्फ सुनी हें उनकी तो बात ही क्या पर जो हमने अपनी आखों से देखा है उसके बारे में भी हमारी धारणाएं हमारी अपनी नहीं हें, हम आखों देखी बातों के बारे में भी अपनी घारणा लोगों की बातें सुनकर ही बनाते हें. बातें भी इकतरफा. हम उन सुनी हुई बातों की सत्यता जानने की या सम्बन्धित व्यक्ति से उसका खुलाशा करने की तो जरूरत ही नहीं समझते हें.
बात अगर धारणा तक ही सीमित हो तब भी ठीक है. हमतो अपनी उस भ्रामक धारणा के ही आधार पर एक्शन तक लेने लगते हें, एक्शन भी साधारण नहीं, घातक भी.
उस समय हमें यह विचार तक नहीं आता है कि हम व्यर्थ ही किसी अबोध (innocent) व्यक्ति को संकट में डाल रहे हें.
अमूमन तो हमारी अपनी आखों से देखी और कानों से सुनी बातें भी यथार्थ से परे और विपरीत ही होती हें क्योंकि हम देखते हें तो रंगीन चश्मा पहिनकर, सुनते हें तो अपने पूर्वाग्रह के परिपेक्ष्य में.
हमारा देखना-सुनना भी कहाँ प्योर है ? वह भी अत्यंत दूषित ही तो है.
हमने अपने चारों ओर इतने दूषित फ़िल्टर लगा रखे हें जो शुद्ध बातों और यथार्थ हकीकतों को हम तक पहुँचने ही नहीं देते हें.
यह सब तबतक चलता ही रहेगा जबतक कि हम स्वयं सत्य की खोज के लिए प्यासे नहीं होंगे, अपने दुराग्रहों को त्याग नहीं देंगे, रंगीन चश्मों को उतार नहीं फेकेंगे और फिल्टर्स को हटा नहीं देंगे.
इतना सब करके भी हम मात्र अपनेआप को ही सुरक्षित कर पायेंगे बस ! यह दुनियाँ तो ऐसे ही चलती रहेगी. दुनिया तो नाम ही अन्याय, अनीति, अविचारऔर अत्याचार का है.
क्या अबभी आप अपने फ़िल्टर हटा लेने के लिए तैयार हें ?      

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