परमात्म नीति - (18)
- बनाने में भी शक्ति का व्यय होता है और बने हुए को बिगाड़ने में भी.
- बनाने में भी शक्ति का व्यय होता है और बने हुए को बिगाड़ने में भी.
तेरे पास शक्ति तो सीमित है, यदि तू अन्यों को नष्ट करने में इसका अपव्यय करेगा तो अपने आपको बनाने का कार्य कैसे करेगा?
यूं भी अन्य का बनना–बिगड़ना स्वयं उसके आधीन है, यह तेरे आधीन तो है नहीं, तब तुझे क्या उपलब्ध होगा?
सिर्फ अपने साध्य की सिद्धी के लिए स्वयं को समर्पित कर, तेरा कल्याण होगा.
यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
उक्त सूक्तियां मात्र सूचिपत्र हें, प्रत्येक वाक्य पर विस्तृत विवेचन अपेक्षित है, यथासमय, यथासंभव करने का प्रयास करूंगा.
घोषणा
यहाँ वर्णित ये विचार मेरे अपने मौलिक विचार हें जो कि मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित हें.
मैं इस बात का दावा तो कर नहीं सकता हूँ कि ये विचार अब तक किसी और को आये ही नहीं होंगे या किसी ने इन्हें व्यक्त ही नहीं किया होगा, क्योंकि जीवन तो सभी जीते हें और सभी को इसी प्रकार के अनुभव भी होते ही हें, तथापि मेरे इन विचारों का श्रोत मेरा स्वयं का अनुभव ही है.
यह क्रम जारी रहेगा.
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