Friday, September 2, 2011

न तो कोई घर भरने के लिए राजनीति में आता है और न ही पेट भरने या पुजने के लिए साधु बनता है

न तो कोई घर भरने के लिए राजनीति में आता है और न ही पेट भरने या पुजने के लिए साधु बनता है

(हम अपबादों की चर्चा नहीं कर रहे हें )

ये समाज के वे उत्कृष्टतम लोग हें जिनके लिए जीवन के मायने सिर्फ रोटी कपडा और मकान ही नहीं हें या मात्र आहार ,निद्रा , भय और मैथुन ही नहीं हें .

ये समाज सेवा का जज्बा लिए और आत्म कल्याण की खोज में निकले हुए लोग हें .

यदि शोध की जाबे तो हम पायेंगे की वह समय इनके जीवन का पवित्रतम विचारों बाला समय था जब ये मात्र अपने घर -परिवार की चिंता छोड़कर समाज के कल्याण के लिए निकल पड़े थे या घर बार छोड़कर साधु बनने के लिए निकल पड़े थे .

इसके बाद इनके व्यक्तित्व में हुए किसी भी प्रकार के परिवर्तन के लिए मात्र ये जिम्मेदार नहीं हें , उसमें हमारा और समाज का भी बड़ा योगदान है ,उस प्रदूषण का भी भारी योगदान है जो देश और समाज में फैला हुआ है .

विस्तृत विवेचन के लिए पढ़ें पूरा आलेख ---

(जो शीघ्र ही पोस्ट किया जाएगा )

-parmatm prakash bharill

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