Monday, September 19, 2011

Parmatm Prakash Bharill: फिर अपनी मनमानी को तुम,लोकतंत्र बतलाते हो

Parmatm Prakash Bharill: फिर अपनी मनमानी को तुम,लोकतंत्र बतलाते हो: पांच साल में एक बार तुम , वोट हमारे ले जाते हो फिर अपनी मनमानी को तुम,लोकतंत्र बतलाते हो

No comments:

Post a Comment