Sunday, November 20, 2011

एक कडबा सच - कहीं हम निरे पशु तो नहीं रह गए हें ?


एक कडबा सच -

कहीं हम निरे पशु तो नहीं रह गए हें ?

हम में से अधिकतम लोगों के लिए पशु मात्र एक वस्तु (कमोडिटी) हें , मात्र उपभोग की वस्तु .
वे जब तक जीवित रहें उनका श्रम हमारे काम की चीज है और मरने के बाद उनका चमड़ा और हड्डी .
मनुष्य के पास कुछ और भी जिनकी आवश्यकता लोगों को होती है , संवेदनाएं , संस्कार और समर्पण .
जिनकी ये तीन वस्तुएं अभी भी लोगों के काम की हें वे सौभाग्यशाली लोग अभी भी मानव बने हुए हें पर जिनके पास यह नहीं बचा है वे तो मात्र पशुवत ही जीवन व्यतीत कर रहे हें . अब उनके पास वही दो वस्तुएं तो बची हें जो पशुओं के पास हें , जीवित रहते हुए श्रम और मरने के बाद वसीयत और तिजोरी की चाबी .

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