जीवन किसे कहते हें , यह जीवन कैसा हो ?
इसको ना लुटने दूगा मैं ,मुझको यह जीवन जीना है
बिके हुए हें सारे जीवन , सबकी अपनी अपनी कीमत है
सबने उस कीमत पर बेचा , जिसकी जैसी जरूरत है
अरे जरूरत नाम यहाँ पर , कीमत अपनी लगबाने का
और अन्य को सोंपा खुदको ,यह अन्य नाम मर जाने का
यदि तुमको जीना अपना जीवन , नहीं जरूरत बढ़ने दो
जो जीवन के लिए जरूरी , बस उससे जीवन चलने दो
उपलब्धी नहीं नाम यहाँ पर , किसी वस्तु को पाने का
अरे यह़ी तो वह सबूत है,इस कीमत पर बिक जाने का
जीवन के हित आवश्यक है ,बस शुद्ध हवा निर्मल पानी
वह तो है उपलब्ध सभी को,इसकी ना कीमत दी जानी
एक और अति आवश्यक है,सादा कपड़ा भोजन चाहिए
अति साधारण श्रम से यह सब , आप कहीं भी पाइये
औषधि के बिन स्वस्थ ये जीवन , पशु भी तो जी लेते हें
इतनी सुविधाएँ जुटजाने पर भी ,हम कितना जी लेते हें
एक रात को मनुज जहाँ पर , बेफिक्री से टिक जाए
कोई ना टोके , धकियाये , वह ही तेरा घर कहलाये
इससे ज्यादा यदि कोई भी वस्तु , इस जीवन में पानी है
समझ तू लेना , तेरी जिन्दगी , उसी भाव बिक जानी है
समय बचाकर इन सबसे , दिन रात आत्मा का चिंतन
अरे मनुजता नाम इसी का,इसको कहते मानव जीवन
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
nov 4th ,2011 , 3.50 am.
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