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हमेशा ही हर व्यक्ति के बारे में यह परवाह नहीं की जा सकती है क़ि वह या कोई और क्या सोचेगा क्योंकि व्यक्ति की गहराइयां व्यक्ति में न नापकर उसकी परछाइयों से नापी जाती हें , यह देखा जाता है क़ि क्या है उसके आगे और पीछे .
परछाइयां तो क्षणिक संयोगों का परिणाम हें जो पल में ही विशाल रूप धारण कर लेतीं हें और पल में ही बौनी हो जातीं हें ,सिमट जातीं हें .
बस यह़ी काफी है किसी को भी अपनी विश्वसनीयता खो देने के लिए .
बहुत बढ़िया
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