Saturday, December 24, 2011

हें कौनसी बो सीडियां , नजरों में तेरी चढ़ सकूं

हें कौनसी बो सीडियां , नजरों में तेरी चढ़ सकूं 
कब से यूं ठहरा हुआ हूँ , कुछ तो आगे बढ़ सकूं 
आदमी जो बन न पाऊं , इंसान से मैं जुड़ सकू 
कर ना सकूं अपने लिए , तेरे लिए कुछ कर सकूं

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