थक गया हूँ दौड़ते , ये फासले घटते नहीं
मंजिलों की आश बिन , रास्ते कटते नहीं
मार्ग पहिचाने बिना , क्या कोई पाया,पायेगा
लक्ष्य तो तय है मगर , क्यों रास्ते मिलते नहीं
मंजिलों की आश बिन , रास्ते कटते नहीं
मार्ग पहिचाने बिना , क्या कोई पाया,पायेगा
लक्ष्य तो तय है मगर , क्यों रास्ते मिलते नहीं
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