Sunday, December 25, 2011

Parmatm Prakash Bharill: लक्ष्य तो तय है मगर , क्यों रास्ते मिलते नहीं

Parmatm Prakash Bharill: लक्ष्य तो तय है मगर , क्यों रास्ते मिलते नहीं: थक गया हूँ दौड़ते , ये फासले घटते नहीं मंजिलों की आश बिन , रास्ते कटते नहीं मार्ग पहिचाने बिना , क्या कोई पाया,पायेगा लक्ष्य तो तय है मगर...

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