यह जीवन इक बहती धारा
अब सन्ध्या को नमन करूं या
नवप्रभात के गीत सुनाऊं
खिलूँ जलज सा भोर मानकर
या सांझ समझकर कुमलाऊं
अभी अभी तो बीता था यह
जन्मदिवस फिर से आया है
अब सन्ध्या को नमन करूं या
नवप्रभात के गीत सुनाऊं
खिलूँ जलज सा भोर मानकर
या सांझ समझकर कुमलाऊं
अभी अभी तो बीता था यह
जन्मदिवस फिर से आया है
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