Sunday, December 11, 2011

किसी को माफ़ करके भी हम किसी पर कृपा नहीं करते वरन स्वयं अपनी ही मदद करते हें .


किसी को माफ़ करके भी हम किसी पर कृपा नहीं करते वरन स्वयं अपनी ही मदद करते हें .

यदि हम उसे माफ़ करते तो हमारे ह्रदय में क्रोध की अग्नि जलती ही रहती , और अग्नि जहाँ जलती है उसे तपाती है .इस प्रकार किसी के प्रति अपने क्रोध को शांत करके हम अपनी ही मदद करते हें .

जब हम किसी के प्रति अपने क्रोध का त्याग कर देते हें तो उसी का नाम तो क्षमा करना है ,और यह भी हमारे हित में ही है क़ि हम सम्बंधित व्यक्ति को सूचित करदें क़ि हमने उसे माफ़ कर दिया है ,क्योंकि एक तो इससे वह भी भयमुक्त हो जायेगा और उसे शांति प्रदान करने में निमित्त आप बनेंगे,

फिर एक बात और है ,हो हो कहीं आप से भयभीत वह अपनी आत्मरक्षा के लिए कहीं आपको ही नुकसान पहुँचाने के फेर में हो तो आपसे क्षमा का आश्वाशन पाकर वह अपना वह विचार त्याग देगा और इस प्रकार आप भी सुरक्षित हो जायेंगे .

एक बात और , आपने किसी को माफ़ कर दिया तो आपका एक काम निपट गया ,अब आपको उसके बारे में सोचने का समय नहीं गंबाना पड़ेगा .

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