एक हवलदार जो क़ि भ्रष्टाचार का प्रतीक ही बन गया है , जिस दिन अपने ऑफिसरों के द्वारा निर्धारित टार्गेट की पूर्ती के लिए चालान बुक लेकर चौराहे पर खडा हो जाता है और बाबजूद आपके सही होने के आपका चालान काट देता है , अब आपकी कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है और अनन्त अधिकारों से सज्जित पोरा का पूरा तंत्र उसके पीछे , उसके साथ खडा है , उसकी मदद के लिए .
यदि आप कोर्ट में भी जाते हें तो जज सिर्फ प्पोंचता है क़ि जुर्म स्वीकार है ? आपके न करने या सफाई देने की कोशिश करने पर आपके पेनल्टी हर ब़ार दुगनी करदी जाती है .
यानि क़ि प्रसिद्द झूंठा और भ्रष्ट हवलदार जो कहे सो सच्चा और एक इमानदार नागरिक को अपनी बात कहने तक की इजाजत नहीं .
अब तक इस आधार पर चल रहा है यह देश .
अब जब लोकपाल के रूप में किसी को यह अधिकार देने की कोशिश की जा रही है क़ि कोई इनका भी हाथ पकड़ सके तो कैसे काँप रहे हें ये ?
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