मेरा चिंतन मात्र कहने-सुनने के लिए नहीं, आचरण के लिए, व्यवहार के लिए है और आदर्श भी. आदर्शों युक्त जीवन ही जीवन की सम्पूर्णता और सफलता है, स्व और पर के कल्याण के लिए. हाँ यह संभव है ! और मात्र यही करने योग्य है. यदि आदर्श को हम व्यवहार में नहीं लायेंगे तो हम आदर्श अवस्था प्राप्त कैसे करेंगे ? लोग गलत समझते हें जो कुछ कहा-सुना जाता है वह करना संभव नहीं, और जो किया जाता है वह कहने-सुनने लायक नहीं होता है. इस प्रकार लोग आधा-अधूरा जीवन जीते रहते हें, कभी भी पूर्णता को प्राप्त नहीं होते हें.
Thursday, December 22, 2011
Parmatm Prakash Bharill: प्रसिद्द झूंठा और भ्रष्ट हवलदार जो कहे सो सच्चा और...
Parmatm Prakash Bharill: प्रसिद्द झूंठा और भ्रष्ट हवलदार जो कहे सो सच्चा और...: एक हवलदार जो क़ि भ्रष्टाचार का प्रतीक ही बन गया है , जिस दिन अपने ऑफिसरों के द्वारा निर्धारित टार्गेट की पूर्ती के लिए चालान बुक लेकर चौराह...
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