जिस पल हम भयंकर भूंख से त्रस्त होते हें और सामने वाले से उदारता की अपेक्षा करते हुए चाहते हें क़ि वह सम्मान पूर्वक हमें हमारा रुचिकर भोजन करवाए उसी पल हम स्वयं इतने निर्दय होते हें क़ि अपनी एक पल की भूंख मिटाने के लिए किसी की जान लेने से भी नहीं हिचकते हें .
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