Saturday, May 5, 2012

Parmatm Prakash Bharill: क्यों नहीं कोई दूसरे के जूते में अपना पाँव डालकर य...

Parmatm Prakash Bharill: क्यों नहीं कोई दूसरे के जूते में अपना पाँव डालकर य...: क्यों नहीं कोई दूसरे के जूते में अपना पाँव डालकर यह जाने की कोशिश करता है क़ि उस पर क्या गुजर रही है - जब हमें लाख रूपये की जरूरत होत...

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