यदि हमें मुक्त होना है तो पहिले आग्रह मुक्त होना होगा .
बिना जाने , बिना समझे , बिना परीक्षा किये पाला जाने वाला आग्रह नहीं दुराग्रह है , मुमुक्षु को दुराग्रह कैसे हो सकता है ? दुराग्रही को मुक्ति कैसे हो सकती है ?
अरे ! असत्य की तो परीक्षा आवश्यक है ही , सत्य की भी परीक्षा आवश्यक है , परीक्षा के बिना निर्णय कैसे होगा क़ि क्या सत्य है और क्या झूंठ ?
परीक्षा करके सत्य को स्वीकार करना है , अंगीकार करना है और असत्य से इन्कार करना है त्याग करना है .
और यह परीक्षा तुझे करनी होगी , तुझे स्वयं !
तेरे लिए यह काम कोई और नहीं कर सकता है .
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