कोई हमारी छोटी सी आलोचना करदे तो हम क्रोधित हो जाते हें , विचलित हो जाते हें , आलोचना सुनना हमें अच्छा नहीं लगता है पर मैं कहता हूँ क़ि यह क्रोधित हने वाली बात नहीं है ,यह तो आनंद का बिषय है , यदि कोई हमारे घर की गंदगी साफ़ करे तो हमें क्रोध क्यों करना चाहिए हमें तो उसका उपकार मानना चाहिए -
Parmatm Prakash Bharill: दुनिया में एक निंदक का मिलना एक दुर्लभ संयोग है . ...: कितना दुर्लभ है एक निंदक का मिलना - दुनिया में एक निंदक का मिलना एक दुर्लभ संयोग है . यह तो वह " पतितपावन " है जो आपको पावन कर सकता है . ...
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