बड़ी विचित्र बात है कि लोग निंदनीय काम करने से नहीं बचना चाहते हें , पर वे निंदा से घबराते हें , शर्मनाक तो निंदनीय काम करना है , निंदा होने में शर्म कैसी ? निंदा तो कोई दुर्भावनावश भी कर सकता है और अज्ञानवश भी .और फिर किसी को अपनी निंदा करने से रोक पाना अपने हाथ में भी तो नहीं है , पर हाँ निंदनीय काम करने से बचना अपने स्वयं के हाथ में है -
Parmatm Prakash Bharill: निंदा होना बुरी बात नहीं है , निंदा के योग्य होना ...: निंदा होना बुरी बात नहीं है , निंदा के योग्य होना बुरी बात है . हमारे सारे यत्न निंदा को रोकने के होते हें , हमारी दिलचस्पी न तो निंदा क...
मेरा चिंतन मात्र कहने-सुनने के लिए नहीं, आचरण के लिए, व्यवहार के लिए है और आदर्श भी. आदर्शों युक्त जीवन ही जीवन की सम्पूर्णता और सफलता है, स्व और पर के कल्याण के लिए. हाँ यह संभव है ! और मात्र यही करने योग्य है. यदि आदर्श को हम व्यवहार में नहीं लायेंगे तो हम आदर्श अवस्था प्राप्त कैसे करेंगे ? लोग गलत समझते हें जो कुछ कहा-सुना जाता है वह करना संभव नहीं, और जो किया जाता है वह कहने-सुनने लायक नहीं होता है. इस प्रकार लोग आधा-अधूरा जीवन जीते रहते हें, कभी भी पूर्णता को प्राप्त नहीं होते हें.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment