Thursday, July 26, 2012

दुनिया में ज्ञेय ( जानने योग्य पदार्थ ) अनन्त हें और हमारी वृत्ति चंचल है , इसलिए अटकने और भटकने अवसर अनेक हें .

दुनिया में ज्ञेय ( जानने योग्य पदार्थ ) अनन्त हें और हमारी वृत्ति चंचल है , इसलिए अटकने और भटकने अवसर अनेक हें .
हम करना कुछ चाहते हें और करने कुछ और लगते हें .
हम कहीं जाने के लिए निकालते हें और बीच में ही अटक जाते हें .
जाने कहीं और चाहते थे , पहुँच कहीं और जाते हें . ( भटक गए )
ऐसा क्यों होता है ?
क्योंकि सिर्फ " मुंडे - मुंडे मतिर्भिन्ना " (हर व्यक्ति का सोच अलग होता है ) ही नहीं है , एक ही व्यक्ति का सोच अलग - अलग समय या अलग - अलग जगह या अलग - अलग व्यक्ति के साथ अलग - अलग होता है .
हमारे अधिकतर निर्णय ज्ञान से नहीं , राग - द्वेष से संचालित होते हें .
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