क्रोधादि भाव विकार हें , अपना कहें हम किसलिए
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
स्वभाव मात्र ही वस्तु है , पर भाव तो वस्तु नहीं
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
स्वभाव मात्र ही वस्तु है , पर भाव तो वस्तु नहीं
ज्ञान आत्म स्वभाव है , क्रोधादि तो मेरे नहीं
परिणमन ज्ञान स्वभाव का,है आत्मवस्तु इसलिए
क्रोधादि भाव विकार हें , अपना कहें हम किसलिए
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