चादर छोटी हो और शरीर बड़ा तो यह तो होना ही है , यदि पाँव ढकोगे तो सर उघड जाएगा .
हम सभी इस रोग से पीड़ित हें .
समय है कम और इक्षा और आवश्यकताएं हें बहुत अधिक .
यह समस्या हमारे साथ न तो नई है और न ही यूनीक , अनादिकाल से सब के साथ यह़ी तो हो रहा है .
दुनिया में आज तक जो भी महान लोग हुए हें और उन्होंने जो भी महान काम करे हें वे सभी इन मर्यादाओं में ही हुए हें .
अब मर्यादाएं तो जो हें सो हें , सबके साथ हें और जो भी किया जाना है इन्हीं मर्यादाओं में रहकर ही करना होगा , इसमें क्या रोना-धोना ?
अब यह हम पर निर्भर करता है क़ि हम किन बातों या कामों को महत्वपूर्ण मानते हें और किन्हें कितना महत्व और समय देते हें या किनमें कितनी कटौती करते हें .
हम सभी इस रोग से पीड़ित हें .
समय है कम और इक्षा और आवश्यकताएं हें बहुत अधिक .
यह समस्या हमारे साथ न तो नई है और न ही यूनीक , अनादिकाल से सब के साथ यह़ी तो हो रहा है .
दुनिया में आज तक जो भी महान लोग हुए हें और उन्होंने जो भी महान काम करे हें वे सभी इन मर्यादाओं में ही हुए हें .
अब मर्यादाएं तो जो हें सो हें , सबके साथ हें और जो भी किया जाना है इन्हीं मर्यादाओं में रहकर ही करना होगा , इसमें क्या रोना-धोना ?
अब यह हम पर निर्भर करता है क़ि हम किन बातों या कामों को महत्वपूर्ण मानते हें और किन्हें कितना महत्व और समय देते हें या किनमें कितनी कटौती करते हें .
No comments:
Post a Comment