Tuesday, June 25, 2013

जीवन के बारे में - "कोई भी निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करना आवश्यक है" -

जीवन के बारे में -
कोई भी निर्णय लेने के लिए निम्नलिखित तथ्यों पर गौर करना आवश्यक है -
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल 


- हमारी इक्षा 

- हमारी रुचियाँ 

- हमारी योग्यता 

- हमारी क्षमता ( शक्ति )

- हमारे उपलब्ध साधन 

- हमारी परिस्थितियाँ (संयोग )

- देश - काल 

- सिर्फ वर्तमान ही नहीं , भविष्य भी .

- हमारा दायरा ( हम में कौन-कौन शामिल है - सिर्फ मैं या मैं और पत्नी या मैं ,पत्नी और बच्चे या मैं , पत्नी , बच्चे और माता -पिता ,भाई - बहिन इत्यादि )

- हमारे संस्कार , रीति-नीति , परम्पराएं और मर्यादाएं.


हो सकता है ,हमारी जो इक्षा हो उसमें हमारी रूचि कम हो , योग्यता हो ही नहीं , साधन की कमी हो , परिस्थितियाँ अनुकूल न हों , समय और स्थान अनुकूल न हो और जो मुझे रुचता है उससे परिजन सहमत न हों . जो आज अच्छा लगता है वह कल न हो या जो करने की इक्षा हो रही है वह हमारी रीति-नीति , संस्कार और मर्यादाओं के अनुकूल न हो .

उपरोक्त इतने सारे फेक्टर हें जिनमें उलट-पलटकर अनंत combination - permutation हो सकते हें .

कार्य की सफलता में उपरोक्त में से प्रत्येक factor महत्वपूर्ण है , प्रत्येक का योगदान है .

ध्यान तो हमें सभी का रखना होगा पर सभी अनुकूल न होने पर या कम - ज्यादा अनुकूल होने पर हमें देखना होगा कि किसे मुख्य करें और किसे गौण ?

हमारी सफलता या असफलता हमारे सही निर्णय पर निर्भर करती है .

सिर्फ मेरी अपनी इक्षा या रूचि ही सब कुछ नहीं है .

अन्य  सभी factors mathematical स्वभाव के हें , जो है सो है , जो नहीं है वह नहीं है , २+२ चार होते हें वे ३ या ५ नहीं हो सकते हें .

हम जितने realistic रहेंगे सफलता की संभावनाएं उतनी ही अधिक रहेंगीं . 

बुद्धिमान लोग सबका योग्य आकलन करके उचित निर्णय लेते हें .


जब कोई जिम्मेदार व्यक्ति कोई निर्णय लेता है और प्रस्तावित करता है तब उसे इस द्रष्टिकोण से देखा जाना चाहिए कि उसने पर्याप्त समय देकर , अपने जीवन भर के अनुभव का उपयोग कर , उक्त सारे तथ्यों का भलीभाँति आकलन कर , अनेक उपलब्ध संभावनाओं पर विचार कर सबसे बेहतार्विकल्प चुनकर ही हमारे समक्ष प्रस्तुत किया होगा .
लक्ष्य ( इक्षा , सपना ) एक अलग वस्तु है और executing plan is something different .
जब कोई executor हमारे सामने कोई प्रस्ताव रखता है तो उसमें exclusion की practicality अंतर्निहित होती है , सामान्य व्यक्ति के प्रस्ताव में या सुझावों में उसका आभाव होता है .  
हम कोई भी निर्णय पर पहुंचें या कोई संसोधन करना चाहें उससे पूर्व हमें भी उस गहराई तक पहुंचना आवश्यक है .
इसके लिए आवशयक है कि जहां हमें आवशयक लगे हम प्रश्न पूछकर आवश्यक जानकारी भी ले लें .
पर्याप्त अनुभव और जानकारी के आभाव में हमारा निर्णय त्रुटिपूर्ण होगा .
हम जब उक्त सुझाव पर कोई संसोधन प्रस्तुत करें तो उसमें भी वही गहराई होनी चाहिए .

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