बस इसी अज्ञानवश , संसार में यह भ्रमा
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
अनादि से यह आत्मा , कर्म का कर्ता बना
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
अनादि से यह आत्मा , कर्म का कर्ता बना
बस इसी अज्ञानवश , संसार में यह भ्रमा
निषेधती इस वृत्ति को,सत्यार्थ को प्रकाशती
देशना सर्वज्ञ की , जिनवानि माता भारती
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