पशु जन्म लेता है और केवल कुछ मीटर या किलो मीटर के दायरे में ही रहकर अपनी पूरी जिन्दगी गुजार देता है ( मानव जैसे ही अभागे कुछ अपबादों को छोड़कर ) .
ठीक अनादि काल की ही तरह , उसकी जीवन चर्या में कोई अंतर नहीं आया है , और उनका जीवन सम्पूर्ण भी है उनके पैमानों पर (क्योंकि वे लक्ष्य भ्रष्ट नहीं हें ).
एक ये मानव है , सारी दुनिया में कूदता फिरता है फिर भी अधूरा है , इसके जीवन में अधूरापन है (इसके पैमानों पर ) .
शुरुवात मानव और पशु ने एक ही तरह से की थी .
अब आप ही बतलाएं किसने क्या खोया क्या पाया ?
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