-----------मेरा सत्याग्रह न तो रामलीला मैदान में चल रहा है और न ही जंतरमंतर पर , मेरा सत्याग्रह तो कागज पर चल रहा
है , कालम के सहारे .---------- मैं झूंठ नहीं बोलना चाहता , ऐसा सत्य भी नहीं बोलना चाहता हूँ जो आधा - अधूरा हो ------------------ चाहता हूँ क़ि मेरे लिखे शब्द सिर्फ वही बोलें जो मैं कहना चाहता हूँ -----------अब मुझे अपने पाठकों की योग्यता और नियत दोनों पर भरोसा करना होगा ---------------मुझे सरल भाषा और शैली में लिखना ही होगा ताकि सभी पड़ने बाले उसे समझ तो सकें-----------------
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http://www.facebook.com/pages/Parmatmprakash-Bharill/273760269317272
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