ऊपर सबको उठना है पर वह नहीं करना है जो ऊपर उठने के लिए जरूरी है .
तू अपनी द्रष्टि का दायरा जितना विशाल करता जाएगा उतना ही ऊपर उठता जाएगा .
संकीर्ण द्रष्टिकोण वाला व्यक्ति कभी ऊपर नहीं उठ सकता है .
तू अपनी द्रष्टि का दायरा जितना विशाल करता जाएगा उतना ही ऊपर उठता जाएगा .
संकीर्ण द्रष्टिकोण वाला व्यक्ति कभी ऊपर नहीं उठ सकता है .
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