वैज्ञानिकों ने इन पुद्गल ( दिखाई देने बाली वस्तुएं ) परमाणुओं का इतना गहरा अध्ययन किया है क़ि वे हर क्रिया और प्रतिक्रया के बारे में विल्कुल सटीक बात कर सकते हें , पूरी गारंटी के साथ .
जैसे ये पुद्गल द्रव्य इस जगत की वस्तुएं हें ऐसे ही यह हमारा आत्मा भी इसी लोक की वस्तु है और यह भी इतना ही सूक्ष्म और व्यवस्थित है ,इसकी भी सारी की सारी क्रियाएं और प्रतिक्रियाएं सुनिश्चित हें .
हम तो इस पुद्गल की शक्ति पर ही रीझे हुए हें और उसी में उलझ कर रह गए हें , पर यह पुद्गल तो पर पदार्थ है . हमारी (आत्मा की ) शक्ति तो अनन्त है ,अगर हम उसकी खोज करें , उसको जानें , समझें तो हमारे आनंद की सीमा नहीं रहेगी .
वस आवश्यकता है इस दिशा में काम करने की .
जैसे ये पुद्गल द्रव्य इस जगत की वस्तुएं हें ऐसे ही यह हमारा आत्मा भी इसी लोक की वस्तु है और यह भी इतना ही सूक्ष्म और व्यवस्थित है ,इसकी भी सारी की सारी क्रियाएं और प्रतिक्रियाएं सुनिश्चित हें .
हम तो इस पुद्गल की शक्ति पर ही रीझे हुए हें और उसी में उलझ कर रह गए हें , पर यह पुद्गल तो पर पदार्थ है . हमारी (आत्मा की ) शक्ति तो अनन्त है ,अगर हम उसकी खोज करें , उसको जानें , समझें तो हमारे आनंद की सीमा नहीं रहेगी .
वस आवश्यकता है इस दिशा में काम करने की .
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