सच्चाई तो यह है आज भले ही हमारे आस-पास के परिजन हमसे गहरा सारोकार रखते हों और हमें बहुत चाहते हों पर हमारी मृत्यु के बाद हम किसी भी रूप में क्यों न हों , वे हमारे साथ किसी भी तरह का नाता नहीं जोड़ना चाहेंगे .
तब भी क्या आप ऐसा करना चाहेंगे ?
यूं तो आप जल्दी स्वीकार नहीं करेंगे पर थोड़ा गहराई से विचार करेंगे तो पायेंगे क़ि सचमुच ऐसा करना व्यावहारिक नहीं है और यह बहुत सी आर्थिक , पारिवारिक और सामाजिक विसंगतियों को जन्म दे सकता है और इस लिए यदि हमारा कोई परिजन पुनर्जन्म लेकर हमारे आसपास ही आजाये तो हम उसे स्वीकार नहीं करना चाहेंगे और यह़ी चाहेंगे क़ि वह भी सब पुरानी बातें भूल ही जाए .
तब भी क्या आप ऐसा करना चाहेंगे ?
यूं तो आप जल्दी स्वीकार नहीं करेंगे पर थोड़ा गहराई से विचार करेंगे तो पायेंगे क़ि सचमुच ऐसा करना व्यावहारिक नहीं है और यह बहुत सी आर्थिक , पारिवारिक और सामाजिक विसंगतियों को जन्म दे सकता है और इस लिए यदि हमारा कोई परिजन पुनर्जन्म लेकर हमारे आसपास ही आजाये तो हम उसे स्वीकार नहीं करना चाहेंगे और यह़ी चाहेंगे क़ि वह भी सब पुरानी बातें भूल ही जाए .
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