अच्छा लिखने या बोलने के लिए मात्र अच्छे भाषा ज्ञान या अच्छे प्रस्तुतीकरण की ही आवश्यकता नहीं , और भी बहुत कुछ चाहिए .
आपके पास अच्छे विचार हो , तार्किकता हो , संवेदनाएं हो , सही द्रष्टिकोण हो और सबसे बढ़कर सच्ची बात कहने का साहस हो .
अपने स्वार्थी द्रष्टिकोण साहस की कमी के चलते लोग सच्ची और अच्छी बातें कह नहीं पाते हें .
अपनी सदाशयता और निश्छल प्रेम के कारण भाषा ज्ञान से अनभिज्ञ , अनपढ़ माताएं अपने अबोध बालकों दिल और भरोसा जीत लेतीं हें तो फिर इतने होशियार , पढ़े - लिखे ,विद्वान और नेता लोग , समझदार और पढ़े - लिखे लोगों ( जनता ) का दिल क्यों नहीं जीत सकते हें ?
कमी और कोई नहीं , मात्र उनके अपने चरित्र की है .
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