pls click the link bellow to read in full-
http://parmatmprakashbharill.blogspot.in/2012/09/blog-post_23.html
Parmatm Prakash Bharill: दुनिया सत्य वचन को धर्म मानती है , पर वचन सत्य हो ...: उत्तम सत्य धर्म - दुनिया सत्य वचन को धर्म मानती है , पर वचन सत्य हो ही नहीं सकते . सत्य सम्पूर्णता में है , आंशिक कथन सम्पूर्णता को प्र...
मेरा चिंतन मात्र कहने-सुनने के लिए नहीं, आचरण के लिए, व्यवहार के लिए है और आदर्श भी. आदर्शों युक्त जीवन ही जीवन की सम्पूर्णता और सफलता है, स्व और पर के कल्याण के लिए. हाँ यह संभव है ! और मात्र यही करने योग्य है. यदि आदर्श को हम व्यवहार में नहीं लायेंगे तो हम आदर्श अवस्था प्राप्त कैसे करेंगे ? लोग गलत समझते हें जो कुछ कहा-सुना जाता है वह करना संभव नहीं, और जो किया जाता है वह कहने-सुनने लायक नहीं होता है. इस प्रकार लोग आधा-अधूरा जीवन जीते रहते हें, कभी भी पूर्णता को प्राप्त नहीं होते हें.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment