Friday, October 5, 2012

अब भी तू वह कर सकता है जो सब कुछ है , सम्पूर्ण है .

निश्चित मानिए !
यदि जीवित बने रहने या ढंग से जीवन जीने के साधन जुटाने मात्र में जिन्दगी बीत गई तो यह जीवन मिला या न मिला बराबर ही रहा , जीवन व्यर्थ ही गया .
जीवन जी लेना हमारा उद्देश्य नहीं , जीवन में उपलब्धि हासिल होनी चाहिए और जन्म मरण का अभाव होने के शिवाय और कोई उपलब्धि , उपलब्धि नहीं .
अब जो बीत गया सो बीत गया , अफ़सोस में वक्त न गँवा ! 
जैसा अनादिकाल से आज तक बीता वैसे इस जीवन के २५-५० बर्ष और सही ; पर अब संभल जा !
अब भी तू वह कर सकता है जो सब कुछ है , सम्पूर्ण है .
यदि इस जीवन में अपने को पहिचान सका तो तेरा कल्याण होगा 

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