Friday, January 25, 2013

Parmatm Prakash Bharill: अब भी अगर तेरी दुर्बुद्धी नष्ट नहीं होती है तो फिर...

Parmatm Prakash Bharill: अब भी अगर तेरी दुर्बुद्धी नष्ट नहीं होती है तो फिर...: अरे करमफूटे ! अब तो यह कुटिलता छोड़ दे !  जब सारे ही अनुकूल संयोग जुट गए हें और सब और अनुकूलता व्याप्त है तब क्यों नहीं शान्ति से बैठकर...

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