Tuesday, May 28, 2013

Parmatm Prakash Bharill: थाम लेंगे हम ध्वजा को , वक्त आने दो

Parmatm Prakash Bharill: थाम लेंगे हम ध्वजा को , वक्त आने दो: इस कविता की न तो प्रष्टभूमि का स्पष्टीकरण संभव है और न ही इसके निहितार्थ का ,क्योंकि जो कुछ या जितना कुछ कहा जाएगा अपूर्ण और अपर्याप्त ही ...

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