अरे बुद्धू ! दिल की बातें मत सुन ! दिल तो बुद्धू होता है बुद्धू .
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
और हाँ ! इस दिल को प्यार-ब्यार से मत जोड़ना !
लोग खामखाँ दिल को प्यार से जोड़कर इसके प्रति भावुक होते हें .
दिल अगर प्यार करता है तो नफरत भी तो यही करता है .
ये प्यार तो एक से करता है और नफरत करता है सारी दुनिया से .
ये जो एक से भी प्यार करता है न , वही दुनिया में मुसीबतों की सबसे बड़ी जड़ है
एक से ही करता है यह भी अच्छा ही है , एक से ज्यादा लोगों से यदि प्यार करने भी लगे तब तो मुसीबतों के पहाड़ ही टूट पड़ें .
अरे बुद्धू !
दिल की बातें मत सुन !
दिल तो बुद्धू होता है बुद्धू .
दिल से तो बस प्यार करो , दिल को बहलाओ , उसकी बात सुनो मत , मानो मत .
ठीक बैसे ही जैसे हम छोटे बच्चों को बहलाते हें .
छोटे बच्चों को हम प्यार करते हें , उनका दिल तोड़ना नहीं चाहते हें ; और बच्चे होते हें बुद्धू ( यानि कि उनकी बुद्धी अभी पूर्ण विकसित नहीं हुई है ). वे भी बुद्धू और दिल भी बुद्धू , इसलिए हम उन्हें बहलाते हें , उनकी बातें मान नहीं लेते .
बस यही व्यवहार हमें दिल की आबाज के साथ करना चाहिए .
दिल का क्या ?
न उचित -अनुचित
न सही - गलत
न अच्छा -बुरा
न हितकारी -अहितकारी
न तर्कसंगत - अतर्कसंगत
न दीर्घकालीन
न छुद्रता - विशालता
न अपना - पराया
न समय देखे , न व्यक्ति , न स्थान
बस कुछ भी करने को मचल उठता है .
कभी इसे चाँद -तारे चाहिये , कभी जन्नत ( मरे बिना )
दिन में रात चाहिए रात में दिन
अब मैं दिल की क्या बातें करूं , आप तो सब जानते हो , मैं ज्यादा जनता भी नहीं हूँ .
ये दिल मुआ मेरे सामने खुलता भी नहीं है क्योंकि इसकी मेरे सामने चलती ही नहीं है .
कभी - कभी तो सीना पकड़कर देखना पड़ता है कि है भी या नहीं , धड़कता भी है या नहीं .
पर है यार ! है .
बात -बात पर तो रुलाता है , बस यही काम मैं ऐसा करता हूँ जिस पर मुझे शर्म आती है और तब मैं अपना मुखड़ा छुपाना चाहता हूँ कि कहीं कोई देख न ले
बस इसीलिये मैं दिल से नफरत करता हूँ , क्योंकि ये मुझको शर्मिन्दा करता है .
मुझको ही क्या , ये सबके साथ बस यही करता है .
और हाँ ! इस दिल को प्यार-ब्यार से मत जोड़ना !
लोग खामखाँ दिल को प्यार से जोड़कर इसके प्रति भावुक होते हें .
दिल अगर प्यार करता है तो नफरत भी तो यही करता है .
ये प्यार तो एक से करता है और नफरत करता है सारी दुनिया से .
ये जो एक से भी प्यार करता है न , वही दुनिया में मुसीबतों की सबसे बड़ी जड़ है
एक से ही करता है यह भी अच्छा ही है , एक से ज्यादा लोगों से यदि प्यार करने भी लगे तब तो मुसीबतों के पहाड़ ही टूट पड़ें .
एक से भी प्यार करता है यां नहीं करता है , कब तक और कितना करता है , नहीं करता है , ये ही जाने।
इसके न तो प्यार की कीमत ही और न ही नफरत की .
" पल में मांसा , पल में तोला "
मुआ धड़कता है तो धड़कता चला जाता है , थम गया तो बस अड़ गया .
ये दिल वाले तो "मुंगेरीलाल" होते हें , आपने मुंगेरीलाल के ख्वाबों के बारे में तो सुना ही होगा .
ओ दिल की पूजा करने बालो ! कान खोलकर सुनलो !
"ये दिल हमारे लिए पनौती ही है और कुछ नहीं ".
इसलिए फिर कहता हूँ कि , दिल को बस बहलाओ , इसकी बातों में मत आओ , इसका कहना मत मानो .
अपने निर्णय दिमाग से करो , सोच - समझकर , तर्क से .
भले - बुरे , उचित -अनुचित , अपने -पराये, देश- काल , कानूनी -गैरकानूनी सब बातों का विचार करके .
तुम्हारा कल्याण होगा .
लिखना तो बहुत है , पर अभी दिल नहीं कर रहा है .
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