Saturday, June 29, 2013

अरे बुद्धू ! दिल की बातें मत सुन ! दिल तो बुद्धू होता है बुद्धू .

अरे बुद्धू ! दिल की बातें मत सुन ! दिल तो बुद्धू होता है बुद्धू .
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

और हाँ ! इस दिल को प्यार-ब्यार से मत जोड़ना !
लोग खामखाँ दिल को प्यार से जोड़कर इसके प्रति भावुक होते हें .
दिल अगर प्यार करता है तो नफरत भी तो यही करता है .
ये प्यार तो एक से करता है और नफरत करता है सारी दुनिया से .
ये जो एक से भी प्यार करता है न , वही दुनिया में मुसीबतों की सबसे बड़ी जड़ है 
एक से ही करता है यह भी अच्छा ही है , एक से ज्यादा लोगों से यदि प्यार करने भी लगे तब तो मुसीबतों के पहाड़ ही टूट पड़ें .


अरे बुद्धू !

दिल की बातें मत सुन !
दिल तो बुद्धू होता है बुद्धू .
दिल से तो बस प्यार करो , दिल को बहलाओ , उसकी बात सुनो मत , मानो मत .
ठीक बैसे ही जैसे हम छोटे बच्चों को बहलाते हें .
छोटे बच्चों को हम प्यार करते हें , उनका दिल तोड़ना नहीं चाहते हें ; और बच्चे होते हें बुद्धू ( यानि कि उनकी बुद्धी अभी पूर्ण विकसित नहीं हुई है ). वे भी बुद्धू और दिल भी बुद्धू , इसलिए हम उन्हें बहलाते हें , उनकी बातें मान नहीं लेते .
बस यही व्यवहार हमें दिल की आबाज के साथ करना चाहिए .

दिल का क्या ?

न उचित -अनुचित 
न सही - गलत 
न अच्छा -बुरा 
न हितकारी -अहितकारी 
न तर्कसंगत - अतर्कसंगत 
न दीर्घकालीन 
न छुद्रता - विशालता 
न अपना - पराया 
न समय देखे , न व्यक्ति , न स्थान 

बस कुछ भी करने को मचल उठता है .
कभी इसे चाँद -तारे चाहिये , कभी जन्नत ( मरे बिना ) 
दिन में रात चाहिए रात में दिन 
अब मैं दिल की क्या बातें करूं , आप तो सब जानते हो , मैं ज्यादा जनता भी नहीं हूँ .
ये दिल मुआ मेरे सामने खुलता भी नहीं है क्योंकि इसकी मेरे सामने चलती ही नहीं है .
कभी - कभी तो सीना पकड़कर देखना पड़ता है कि है भी या नहीं , धड़कता भी है या नहीं .
पर है यार ! है .
बात -बात पर तो रुलाता है , बस यही काम मैं ऐसा करता हूँ जिस पर मुझे शर्म आती है और तब मैं अपना मुखड़ा छुपाना चाहता हूँ कि कहीं कोई देख न ले 
बस इसीलिये मैं दिल से नफरत करता हूँ , क्योंकि ये मुझको शर्मिन्दा करता है .
मुझको ही क्या , ये सबके साथ बस यही करता है .

और हाँ ! इस दिल को प्यार-ब्यार से मत जोड़ना !
लोग खामखाँ दिल को प्यार से जोड़कर इसके प्रति भावुक होते हें .
दिल अगर प्यार करता है तो नफरत भी तो यही करता है .
ये प्यार तो एक से करता है और नफरत करता है सारी दुनिया से .
ये जो एक से भी प्यार करता है न , वही दुनिया में मुसीबतों की सबसे बड़ी जड़ है 
एक से ही करता है यह भी अच्छा ही है , एक से ज्यादा लोगों से यदि प्यार करने भी लगे तब तो मुसीबतों के पहाड़ ही टूट पड़ें .
एक से भी प्यार करता है यां नहीं करता है , कब तक और कितना करता है , नहीं करता है , ये ही जाने।
इसके न तो प्यार की कीमत ही और न ही नफरत की .
" पल में मांसा , पल में तोला "
मुआ धड़कता है तो धड़कता चला जाता है , थम गया तो बस अड़ गया .
ये दिल वाले तो "मुंगेरीलाल" होते हें , आपने मुंगेरीलाल के ख्वाबों के बारे में तो सुना ही होगा .
ओ दिल की पूजा करने बालो ! कान खोलकर सुनलो !
"ये दिल हमारे लिए पनौती ही है और कुछ नहीं ".

इसलिए फिर कहता हूँ कि , दिल को बस बहलाओ , इसकी बातों में मत आओ , इसका कहना मत मानो .
अपने निर्णय दिमाग से करो , सोच - समझकर , तर्क से .
भले - बुरे , उचित -अनुचित , अपने -पराये, देश- काल , कानूनी -गैरकानूनी सब बातों का विचार करके .
तुम्हारा कल्याण होगा .

लिखना तो बहुत है , पर अभी दिल नहीं कर रहा है .

No comments:

Post a Comment