ये राजाओं और सम्राटों जैसे सक्षम लोग यूं ही तो नहीं अपने घोर शत्रु से मैत्री संधी करते हें, उसकी शर्तें मानकर भी.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
ये राजाओं और सम्राटों जैसे सक्षम लोग यूं ही तो नहीं अपने घोर शत्रु से मैत्री संधी करते हें , उसकी शर्तें मानकर भी .
आखिर ऐसा करना किसे अच्छा लगता है ? पर इसके बिना दुनिया में चलता नहीं है , यह तो करना ही पड़ता है .
No comments:
Post a Comment