Thursday, August 1, 2013

आने पर सुधरने की बारी,खुदको भूल जाते हें लोग

खुद को देखते नहीं , दुनियां पर तरस खाते हें लोग 
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

खुद को देखते नहीं , दुनियां पर तरस खाते हें लोग 
आने पर सुधरने की बारी,खुदको भूल जाते हें लोग 

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