यूं ही थक हार कर अक्सर , शाम घर लौट आते हें लोग
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
सुबह से शाम तक दौड़कर , कहीं नहीं पहुँच पाते हें लोग
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
सुबह से शाम तक दौड़कर , कहीं नहीं पहुँच पाते हें लोग
यूं ही थक हार कर अक्सर , शाम घर लौट आते हें लोग
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