Tuesday, August 27, 2013

सुबह से शाम तक दौड़कर , कहीं नहीं पहुँच पाते हें लोग

यूं ही थक हार कर अक्सर , शाम घर लौट आते हें लोग 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

सुबह से शाम तक दौड़कर , कहीं नहीं पहुँच पाते हें लोग 
यूं ही थक हार कर अक्सर , शाम घर लौट आते हें लोग 

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