पुन्य हो या पाप हो , आश्रव सभी अपवित्र हें
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
पुन्य हो या पाप हो , आश्रव सभी अपवित्र हें
(कविता)
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
पुन्य हो या पाप हो , आश्रव सभी अपवित्र हें
दोनों अकिंचन बंध कारक , आतम अबंध पवित्र है
शुभ अशुभ में भेद करना , मूढ़ता अज्ञान है
भेद आश्रव आत्म का , सम्यक्त्व भेद विज्ञान है
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