Monday, September 16, 2013

Parmatm Prakash Bharill: विपरीत हें वे भिन्न हें ,वे तो दुखों की खान हें

Parmatm Prakash Bharill: विपरीत हें वे भिन्न हें ,वे तो दुखों की खान हें: विपरीत  हें  वे भिन्न हें ,वे तो दुखों की खान हें  नित निराकुल भाव धारक , जीवराज महान हें  जब जानता यह आत्मा,निज व आश्रव भेद को  क्र...

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