Tuesday, October 22, 2013

आपको जूते चुनते वक्त भी सावधानी रखनी होगी और आने वाले हर दिन उनका ख्याल रखना होगा कि वे किस हाल में हें , यदि उनके हाल बिगड़े तो वे आपका हाल बिगाड़ने में देरी नहीं करेंगे।

आपका अपना जूता अपने आप में कितनी ही तुच्छ वस्तु क्यों न हो , चाहे सारी दुनिया उसकी अन्देखी करे , उसकी कीमत न करे , उसकी परवाह न करे पर आपके लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण वस्तु है। 
आपका सुख-चैन उसके हाथ में है। 
आपकी गति की तीव्रता वह तय करेगा। 
आप कितना चलें यह भी वही तय करेगा। 
यदि आपने उसे समझा नहीं , जाना नहीं , उसके साथ एडजस्ट नहीं किया तो हो सकता है वह आपको घायल करदे , इतना चोटिल करदे कि आने वाले कई दिनों तक आप चल ही नहीं सकें। 

आपको जूते चुनते वक्त भी सावधानी रखनी होगी और आने वाले हर दिन उनका ख्याल रखना होगा कि वे किस हाल में हें , यदि उनके हाल बिगड़े तो वे आपका हाल बिगाड़ने में देरी नहीं करेंगे। 
और हाँ ! जूतों का ख्याल रखते हुए या उनकी संभाल करते हुए न तो ये महसूस ही करें और न ही यह जताएं कि आप उन पर कोई अहसान कर रहे हें , क्योंकि यह सत्य भी नहीं है। 
सत्य तो यह है कि जूते की सम्भाल करते हुए आप अपनी ही सम्भाल कर रहे हें , अपने आपको ही सुरक्षित कर रहे हें , अपनी ही गति सुनिश्चित कर रहे हें। 

यहाँ हमारा भी उद्देश्य जूते के बारे में विचार करना नहीं है , आखिर जूता चीज ही क्या है ?

हमारे कहने का तात्पर्य यह है कि यदि आपके इर्द-गिर्द् ऐसे लोग हें जिनकी यूं तो सामान्य तौर पर अपने आप में अहमियत कुछ भी नहीं या बहुत कम है पर वे जीवन के ऐसे दौर में आपसे संपर्क में आते हें जहां उनकी अहमियत बढ़ जाती है , उस समय उन्हें आप अन्देखा नहीं कर सकते। 
अनदेखा करना तो दूर , आपको उन्हें सर - माथे लेना पड सकता है। 
उदाहरण के लिए -
हमारी देश का एक साधारण मतदाता यूं तो नाचीज है , उसकी क्या अहमियत ? कौन करता है उसकी परवाह ? पर ५ साल में एक दिन ऐसा आता है जब चुनाव में खडा एक उम्मीदवार उसकी अनदेखी नहीं कर सकता है , अरे अनदेखी तो क्या , उस दिन तो वह राजा होता है और उसके साथ सम्राट के सामान व्यवहार ही करना आवश्यक और उचित है। यह जो आप करेंगे यह उसके लिए नहीं , अपने हित के लिए करेंगे। 
इसी तरह यदि किसी मंत्रीजी को जेल जाना पड़े ( आजकल मौसम है ) तो एक अदना सा संत्री जो यूं तो नाचीज ही है अब उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो उठता है , वह अब उनका बहुत हित और अहित कर सकता अहि , आज उनकी परवाह करनी ही होगी , आज उसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है। 

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