Friday, April 25, 2014

दुनिया की कड़बी सच्चाई का बेबाक चित्रण -

दुनिया की कड़बी सच्चाई का बेबाक चित्रण -
- परमात्म  प्रकाश भारिल्ल 
यदि आप किसी के अन्दर झाँकने का शौक फरमाते हें तो फिर सुन्दरता के दर्शन की कल्पना मत कीजिये , ऐसी आशा मत कीजिये , आकांक्षा मत संजोइए .
जगत में यदि कहीं सुन्दरता है तो बस ऊपर ही ऊपर ही , वह भी बस चिकनी – चुपड़ी , अन्दर तो बस गंदगी ही गंदगी भरे पडी है , बेइन्तहां .
फिरभी यदि आपका जोर मात्र सुन्दरता पर ही है तो सिर्फ वही देखकर संतुष्ट रहने का प्रयास कीजिये जो दिखलाने की कोशिश की जा रही है . आप अपने आप को अत्यंत भाग्यशाली मानिये यदि ऐसे में भी आपको सुन्दरता के दर्शन होते हें ( करबाए जाते हें ) वरना आपकी परवाह ही किसे है कि वह आपको हाँ ! आपको सुन्दर दिखने का प्रयास भी करे . आखिर आप हें कौन कि वह आपकी परवाह भी करे .
अमूमन होता तो यह है कि वह किसी न किसी तरह से आपको ऐसी कुरूपता का दर्शन करबाने के फेर में रहते हें ताकि आप उनकी ओर ताकें ही नहीं , उनके पास फटकें ही नहीं ; ठीक उसी प्रकार जैसेकि लोग पैसे खर्चकर भी अपने सुन्दर से आलीशान घर के बाहर कंटीले तारों की बाड़ लगबा लेते हें ताकि कोई उनके घर में , उनके पास ही न आ सके ; और तो और वे अपने प्यारे से घर के दरबाजे पर एक भोंकने वाला कुत्ता और बाँध लेते हें जो उस ओर रुख करने पर आपके ऊपर भोंके-गुर्राए . मानो यह भी पर्याप्त न हो , वे उस कुत्ते के भोंकने पर उसे गोद में और उठा लेते हें , ज्यों – ज्यों वह आपके ऊपर अधिक भोंकता – गुर्राता है वे उसे और - और सहलाते हें , पुचकारते हें .
आपकी भलाई इसी में है कि आप उस भोंकने – गुराने वाले कुत्ते के लिए मोहन भोग का इंतजाम रखें , भले ही वह गुर्राए पर आप उसे पुचकारें .
करमफूटों के लिए तो बस यही योग्य है . दुनियाँ में सुन्दरता हो या न हो , होगी तो किसी और के लिए होगी पर यह तेरे लिए नहीं है .

( और हाँ ! यहाँ – वहाँ ताकिये मत ! वह करमफूटा कोई और नहीं , हम सभी हें , हाँ ! हाँ !! हम सब )

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