दुनिया
की कड़बी सच्चाई का बेबाक चित्रण -
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
यदि
आप किसी के अन्दर झाँकने का शौक फरमाते हें तो फिर सुन्दरता के दर्शन की कल्पना मत
कीजिये , ऐसी आशा मत कीजिये , आकांक्षा मत संजोइए .
जगत
में यदि कहीं सुन्दरता है तो बस ऊपर ही ऊपर ही , वह भी बस चिकनी – चुपड़ी , अन्दर
तो बस गंदगी ही गंदगी भरे पडी है , बेइन्तहां .
फिरभी
यदि आपका जोर मात्र सुन्दरता पर ही है तो सिर्फ वही देखकर संतुष्ट रहने का प्रयास
कीजिये जो दिखलाने की कोशिश की जा रही है . आप अपने आप को अत्यंत भाग्यशाली मानिये
यदि ऐसे में भी आपको सुन्दरता के दर्शन होते हें ( करबाए जाते हें ) वरना आपकी
परवाह ही किसे है कि वह आपको हाँ ! आपको सुन्दर दिखने का प्रयास भी करे . आखिर आप
हें कौन कि वह आपकी परवाह भी करे .
अमूमन
होता तो यह है कि वह किसी न किसी तरह से आपको ऐसी कुरूपता का दर्शन करबाने के फेर
में रहते हें ताकि आप उनकी ओर ताकें ही नहीं , उनके पास फटकें ही नहीं ; ठीक उसी
प्रकार जैसेकि लोग पैसे खर्चकर भी अपने सुन्दर से आलीशान घर के बाहर कंटीले तारों
की बाड़ लगबा लेते हें ताकि कोई उनके घर में , उनके पास ही न आ सके ; और तो और वे
अपने प्यारे से घर के दरबाजे पर एक भोंकने वाला कुत्ता और बाँध लेते हें जो उस ओर
रुख करने पर आपके ऊपर भोंके-गुर्राए . मानो यह भी पर्याप्त न हो , वे उस कुत्ते के
भोंकने पर उसे गोद में और उठा लेते हें , ज्यों – ज्यों वह आपके ऊपर अधिक भोंकता –
गुर्राता है वे उसे और - और सहलाते हें , पुचकारते हें .
आपकी
भलाई इसी में है कि आप उस भोंकने – गुराने वाले कुत्ते के लिए मोहन भोग का इंतजाम रखें
, भले ही वह गुर्राए पर आप उसे पुचकारें .
करमफूटों
के लिए तो बस यही योग्य है . दुनियाँ में सुन्दरता हो या न हो , होगी तो किसी और
के लिए होगी पर यह तेरे लिए नहीं है .
(
और हाँ ! यहाँ – वहाँ ताकिये मत ! वह करमफूटा कोई और नहीं , हम सभी हें , हाँ !
हाँ !! हम सब )
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