Tuesday, November 4, 2014

"जैसे को तैसा " सही नीति नहीं है

यदि आप "जैसे को तैसा" की नीति में भरोसा करते हें तो एक बार इसे पढ़ अवश्य लें  

यदि अब भी तेरा विचार नहीं बदलता है तो थोडा और ठहर जा, एक बार फिर विचार करले; आखिर तेरा दुर्भाग्य कहाँ लुट जाने वाला है ? तू कभी भी उसका वरण कर सकता है, जल्दी क्या है ?

"जैसे को तैसा " सही नीति नहीं है 
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल



श्रीमानजी ! यदि आप ईंट का जबाब पत्थर से देने का इरादा रखते हें तो जरूर ऐसा कीजिये, आखिर कौन आपको ऐसा करने से रोक सकता है ?
 पर रुकिए ! ऐसा करने से पहिले ज़रा ठहरिये !!
क्योंकि ऐसा तो आप कभी भी कर सकते हें, इसकी जल्दी क्या है ?
क्या आपने कभी सोचा कि ऐसा तो सामने वाला भी कर सकता है न आपके बिरुद्ध ? क्या आपको अपने प्रति भी उसका यही व्यवहार मंजूर है ?
यदि नहीं तो फिर क्यों आप उसे भी ऐसा ही करने के लिए आमंत्रित करते हें ?
क्योंकि ऐसी स्थिति में कोई आपके ऊपर पुष्पबर्षा तो करेगा नहीं !
आखिर क्यों आप अपने आपको इस लायक बनाना चाहते हें कि कोई आपके साथ इस प्रकार का दुर्व्यवहार करे ?
यदि अब भी तेरा विचार नहीं बदलता है तो थोडा और ठहर जा, एक बार फिर विचार करले; आखिर तेरा दुर्भाग्य कहाँ लुट जाने वाला है ? तू कभी भी उसका वरण कर सकता है, जल्दी क्या है ?


हाँ ! यदि आपने यह कदम एक बार उठा लिया तो आप इसे बापिस कभी नहीं ले सकते, फिर तो बस आपको उसके परिणामों  का इन्तजार करना ही शेष रहेगा,बस! 

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