Thursday, May 7, 2015

अरे लुटाकर संचित निधियां

सम्पूर्ण, सफल, सक्रिय और सुखी जीवन के 75 बर्ष पूर्णँ करने पर ममतामयी  पूज्य मातुश्री श्रीमती गुणमाला भारिल्ल को सादर वन्दन व दीर्घ स्वर्णिम भबिष्य की मंगल शुभकामनाएँ-

अरे लुटाकर संचित निधियां

जीवन भर भी रहे संजोता
एक-एक कर कोई मणियाँ
माला तब भी, कभी किसी की
बनपाए, ना बन पाए


बिन किये कुछ बिन मांगे ज्यों 
किसीको निधियां मिल जाए
अनुपम यह सौभाग्य हमारा
हम माँ ‘गुणमाला’ पाए

प्रत्येक रत्न ‘गुणमाला’ का
अद्भुत, अनुपम, सुन्दर है
इनसे शोभित रत्नमाल यह 
जगमग रहती प्रतिपल है 

दर्पण सा निर्मल मन इनका
जो बाहर है वह अन्दर है
स्पष्ट नीति , बेबाक कथन
चाहे जो पढले इनका मन

कर्मण्य सदा, ना कोई विकथा
ऐसा जिनका मोहक जीवन
कोई सन्मुख बड़ा न छोटा
जो मिलता बो अपना होता

चुम्बक इनका कैसा प्रवल है
ममतामयी इनका आँचल है
द्रढ़ता अनन्त , अटूट आस्था
जिनवर के प्रति निस्पृह निष्ठा

क्रमबद्ध, सुनिश्चित, स्वतंत्र परिणमन
यह वस्तु व्यवस्था ही सर्वोत्तम
इसकी स्वीक्रति से ही भवक्षय है
ऐसा इनका दृढ निश्चय है

शीघ्र ही इतना वल पायें
ये अपने अंतर में जाएँ
मुक्तिरमा का त्वरित वरन हो
शिद्धशिला इनका आँगन हो

-परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

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