सल्लेखना क्या है ?
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
सल्लेखना मात्र मृत्यु के वरण की प्रक्रिया नहीं वरन एक सम्पूर्ण, त्रुटिहीन, आदर्श जीवनशैली है और चूंकि मृत्यु भी जीवन का एक अभिन्न अंग है, एवं म्रत्यु के साथ ही वर्तमान जीवन समाप्त होजाता है इसलिए स्वयंआगत म्रत्यु की गरिमामयढंग से सहज स्वीकृति ही सल्लेखना की प्रक्रिया की पराकाष्ठा है.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
सल्लेखना मात्र मृत्यु के वरण की प्रक्रिया नहीं वरन एक सम्पूर्ण, त्रुटिहीन, आदर्श जीवनशैली है और चूंकि मृत्यु भी जीवन का एक अभिन्न अंग है, एवं म्रत्यु के साथ ही वर्तमान जीवन समाप्त होजाता है इसलिए स्वयंआगत म्रत्यु की गरिमामयढंग से सहज स्वीकृति ही सल्लेखना की प्रक्रिया की पराकाष्ठा है.
जीवनकाल में चलने वाली सल्लेखना की साधना का समापन भी (जीवन की प्रत्येक अन्य गतिविधियों की ही तरह) वर्तमान जीवन के अंत के साथ ही होजाता है.
नियमितरूप से चलने वाली अन्य गतिविधियों की ही तरह जीवन के नित्यक्रम में चली सल्लेखनापूर्ण जीवन की लम्बे समय की साधना की ओर तो किसी का ध्यान जाता नहीं, पर सामान्यजन की म्रत्यु से प्रथक दिखने वाली सल्लेखनायुक्त यह क्रंदन और शोक से मुक्त गरिमामय म्रत्यु सभी को न सिर्फ विस्मित करती है वरन सभी का ध्यान भी आकर्षित करती है. बस इसीलिये सल्लेखना की प्रक्रिया में भी जीवनभर की साधना तो गौण होगई और मात्र म्रत्यु ही सभी की नजरों में चढ़ गई.
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