Thursday, November 5, 2015

सल्लेखना न तो जीवन का लोभ है और न ही, मौत का भय या म्रत्यु को आमंत्रण.

सल्लेखना न तो जीवन का लोभ है और न हीमौत का भय या म्रत्यु को आमंत्रण.
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

सामान्यजन म्रत्यु के भय से भयाक्रांत मरमरकर जीवन जीते हेंयहाँतक कि उनमें से कई अभागे तो मौत के खौफ से आक्रांत होकरआत्मघात तक कर बैठते हें.
जीवन और म्रत्यु” के स्वरूप से परिचित ज्ञानीसाधक उनके यथार्थ को स्वीकार कर जीवन की लालसा और म्रत्यु के भय से रहित जो अनुशासितसौम्य, सदाचारीसात्विकस्वाध्यायी साधक का शांत व संयमित जीवन जीते हें व आयु पूर्ण होनेपर सहज ही स्वाभाविक म्रत्यु को प्राप्त होते हेंवे धन्य हें.
यही सल्लेखना है.

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